Sunanda Aswal

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प्रेम की परख

फागुन का महिना ऋतु ग्रीष्म ठिठक ग‌ई , बसंत के बाद सब कुछ खिला ही रहा । ठंडक रुकी हुई थी । शीत बयार अपना आंचल समेट कर पूर्व की ओर चल पड़ी थी ।  पीत पुष्पों से धरती की चादर ढकी थी ।

एक युवती वृक्ष की छांव में अपने प्रेम की प्रतीक्षा में खड़ी थी , बहुत देर तक उसका प्रेम न आया तो वह बौखला गई। वह सोची ," कैसा प्राणी है जब इसे वक्त  का ही ध्यान नहीं है तो इसके संग आगे का जीवन कैसे बिताऊंगी ?"

तभी, उसकी नज़र आते हुए प्रेमी पर पड़ गई,वह सोची अरे ! यह तो आ गया ,मैं ही ग़लत थी ,कम से कम आ गया और मेरा संशय भी चला गया ।"

फिर उसका मन विचारों के घोड़े फिर दौड़ाने लगा।

उसके मन में  विचार आया,"इतनी प्रतीक्षा करने के पश्चात यह कंजूस क्या देगा भला मुझे ? इतना तो होता कुछ ले आता ! "

तभी ,उसने देखा उसने अपनी जेब से एक छोटा सा डिब्बा निकाला , वह फिर सोचने  लगी," लाया तो है कुछ, पर कंजूस बहुत छोटा सा । हद ही है !"

वह बोली,"--कहां थे ? मैं कब से आपकी प्रतीक्षा कर रही थी ।"

वह जेब से एक छोटी सी अंगूठी निकालकर बोला ," यह लेने गया था ।"

उसने देखा एक बेशकीमती हीरे की अंगूठी को उसका प्रेम उसके हाथ में पहना कर खुश था और उसने स्नेह भाव से कहा,"सुनो! मां ने कहा था , पहले प्रेम को खोजो परखो और फिर उसे पाने का यत्न करो ,फिर उसे जिंदगी में अपनाओ । यही प्रेम की परख है ।"

उसे अपनी सोच पर घृणा हो रही थी कि ,वह अपने प्रेम को छ: महीने में भी नहीं परख पाई ,जिसने उसके हाथ में बेशकीमती अंगूठी पहनाई क्या वह उसके लायक है ? यह विचार उसे सालता रहा और उसने अपने लालच के लिए उससे क्षमा मांग ली ।

यह प्रेम की परख ने उन्हें नजदीक ला दिया था ।

सुनंदा ☺️

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5 Comments

Milind salve

15-Dec-2023 02:57 PM

V nice

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Varsha_Upadhyay

14-Dec-2023 11:38 PM

Nice

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Sunanda Aswal

15-Dec-2023 09:06 AM

धन्यवाद हृदय से आभार ❤️

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Gunjan Kamal

09-Dec-2023 09:08 AM

हमेशा की तरह शानदार प्रस्तुति

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Sunanda Aswal

09-Dec-2023 09:44 AM

धन्यवाद हृदय से आभार ❤️

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